जीवन बीमा क्या है
जीवन बीमा एक अनुबन्ध अथवा करार है। इसका अर्थ यह है कि एक विशेष घटना के घटने पर बीमेदार को अथवा उसके उत्तराधिकारी/ उत्तराधिकारियो को कोई पूर्व निशचित धन दे दिया जायेगा। प्राय: एक साधारण परिवार अपनी दिन-प्रतिदिन की आवश्यकताओं अर्थात रोटी, कपडा व मकान के लिए परिवार के कर्ता को निरन्तर प्राप्त होने वाली आय पर निर्भर होता है। जब तक कर्ता जीवित है, आय भी जीवित है परिवार की आवश्यकताएं भी पूरी होती रहती है। परन्तु यदि कर्ता को मृत्यु ने अचानक उठा लिया तो परिवार को आर्थिक कठिनाई का सामना करना पडेगा। कितने ही परिवारों की दशा ऐसे समय में बडी दयनीय हो जाती है। जीवन का अंत कब होगा यह निशचित नही है। यह अनिश्चितता ही वह जोखिम है जो कर्ता की मृत्यु से होने वाली आर्थिक क्षति की पूर्ति के लिये किसी प्रकार के संरक्षण की आवश्यकता को जन्म देती है।
बीमा वह साधन है जो जोखिम को समाप्त करता है और अनिश्चितता को निश्चितता मे बदल देता है।
भारतीय जीवन बीमा निगम
भारतीय जीवन बीमा निगम की स्थापना संसदीय अधिनियम के द्वारा की गयी जिसे महामहिम राष्ट्रपति 18 जून 1956 को अपनी स्वीकृति प्रदान की। यह अधिनियम 1 जुलाई 1956 से लागू किया गया और निगम ने 1 सितम्बर 1956 से कार्य करना आरम्भ किया। उसी दिन से निगम को जीवन बीमा व्यवसाय में एकाधिकार प्राप्त है। निगम एक स्वशासित संस्थान है तथा इसका कार्य व्यवहार एक व्यापारिक संस्था की भांति चलाया जाता है। निगम के व्यापारिक ढंग पर कार्य करने की आवश्यकता को स्वयं जीवन बीमा अधिनियम की एक धारा द्वारा स्वीकार किया गया है। निगम अपने उद्देश्य को पूरा करने में संलग्न है। बीमेदार के धन को पूरी सुरक्षा प्रदान करके, बीमा दरों में कमी करके, सेवा का स्तर ऊंचा उठाकर पालिसी शर्तों को अधिक अच्छा बनाकर, खर्चा घटाकर तथा राष्ट्र निर्माण में अधिक से अधिक योगदान देकर निगम जनता के विश्वास का पात्र बन चुका है।
निःसन्देह भारतीय जीवन बीमा निगम उस सौपें गये दायित्व का सफ़लतापूर्वक निर्वाह कर रहा है। जीवन बीमा के राष्ट्रीयकरण का उद्देश्य यह कि जनता को अधिक से अधिक बचत करने को प्रोत्साहित किया जाये तथा राष्ट्र निर्माण की योजनाओं को सफ़ल बनाने में इस बचत का अधिक से अधिक उपयोगी तरीके से विनियोग किया जाये। संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि जीवन बीमा निगम के राष्ट्रीयकरण द्वारा समाज सेवा का यह संदेश सामान्य से सामान्य व्यक्ति तक पहुंचाया जाये तथा प्रीमियम के रूप में प्राप्त किया गया जन साधारण का धन पूर्णतया सुरक्षित रहे और उस धन को राष्ट्र निर्माण हेतु लगाया जाये।
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